Wednesday, January 15, 2020

Gout


क्या है गठिया?

गठिया को हम आम भाषा मेंजोड़ो का दर्दकहते है। दरअसल मेडिकल भाषा में जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड इकठ्ठा होने लगता है तब वह गठिया कहलाता है। इसके साथ ही जोड़ों में दर्द, अकड़न, सूजन, गांठ और शूल चुभने जैसी पीड़ा उत्पन होने लगती है।

अर्थराइटिस के प्रकार

·         रूमेटॉयड अर्थराइटिस: यह बहुत अधिक पाया जाने वाला गठिया का गंभीर रूप है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उपास्थि (ऊतक जोड़ों को एक साथ जोड़ती है) पर हमला करती है।
·         सोराइटिक अर्थराइटिस: अर्थराइटिस के दर्द का यह रूप प्रायः सोरायसिस नामक त्वचा संक्रमण के कारण होता है जो  समय पर इलाज न होने पर काफी घातक और लाइलाज हो जाती है।
·         ओस्टियोसोराइसिस: यह बीमारी आनुवांशिक हो सकता है जो नसों और अस्थिरज्जु, उपास्थि और जोड़ो की अंतर्निहित हड्डियों पर बुरा प्रभाव डालता है। । यह उम्र बीतने के साथ प्रकट होता है। यह बीमारी अक्सर  शरीर का भार सहन करने वाले अंगों जैसे पीठ, कमर, घुटना, रीढ़, अंगूठे का जोड़ और पैर की अंगुलियों को प्रभावित करता है।
·         पोलिमायलगिया रूमेटिका: यह गठिया का प्रकार अक्सर 50 साल की आयु पार कर चुके लोगों में होता है। इसमें गर्दन, कंधा और कमर में असहनीय पीड़ा होने के साथ साथ इन अंगों को घुमाने में कठिनाई होती है।
·         एनकायलाजिंग स्पोंडिलाइटिस: यह सामान्यत: पीठ और शरीर के निचले हिस्से के जोड़ों को प्रभावित करती है। इसमें दर्द हल्‍का होता है लेकिन लगातार बना रहता है।
·         गाउट या गांठ: जब जोड़ों में मोनोसोडियम युरेट क्रिस्टल समाप्‍त हो जाता है तब वह गांठ वाली गठिया का रूप ले लेता है। इस बीमारी में भोजन में बदलाव जरुरी होता है और कुछ दवाओं की सहायता से कुछ दिन में आराम हो जाता है ।
·         सिडडोगाउट: यह रूमेटायड और गाउट से मिलता जुलता गठिया का प्रकार है जिसमे जोडों में कैल्शियम पाइरोफासफेट या हाइड्रोपेटाइट क्रिस्टल जमा हो जाते है।
·         सिस्टेमिक लयूपस अर्थिमेटोसस: यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है जो जोड़ों के साथ साथ त्वचा और अन्य अंगों को प्रभावित करती है। यह बच्चे पैदा करने वाली उम्र में महिलाओं को होती है।


गठिया के लक्षण-
·         जोड़ों में दर्द या अकड़न
·         जोड़ों में सूजन या फुलाव
·         चलने-फिरने या हिलने-डुलने में परेशानी
·         प्राय शुरुआत में ये लक्षण घुटनों, नितंबों, उंगलियों तथा मेरू की हड्डियों दिखते है
·         समय से इलाज होने पर कलाइयों, कोहनियों, कंधों तथा टखनों के जोड़ों में भी ये लक्षण दिखाई पड़ने लगते है

गठिया के कारक-
·         महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी
·         शरीर में आयरन की अधिकता
·         शरीर में कैल्सियम की अधिकता
·         पोषण की कमी
·         मोटापा
·         संक्रमण
·         ज्‍यादा शराब पीना
·         हाई ब्‍लड प्रेशर
·         किडनियों को ठीक प्रकार से काम ना करना
·         वंशानुगत

गठिया का उपचार कैसे करे?
·         गठिया के उचित उपचार के लिए चिकित्सक से जरुर परामर्श ले। चिकित्सक आपका रक्त परीक्षण और एक्स-रे करा सकते है। चिकित्सक द्वारा निर्देशित दवाइयां का नियमित रूप से सेवन करे।
  • शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखें।
·         पौष्टिक आहार का सेवन करें।
·         चिकित्सक द्वारा निर्देशित व्यायाम या योग नियमित रूप से करें।
·         समुचित विश्राम करें।
·         आप हलकी मालिश भी कर सकते है।
·        आप हीटिंग पैड और आईस पैक का भी प्रयोग कर जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से बच सकते हैं।
  • आप एक्यूपंक्चर का भी सहारा ले सकते है। इस चिकित्सा में त्वचा के प्रभावित बिंदुओं पर शुद्ध सुइयों को चुभो कर गठिया के दर्द को ठीक करा जाता है।



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